दुनिया में छा गई स्वामी सत्यानंद की ‘योग निद्रा’
किशोर कुमार
“योग निद्रा” योग पर हुए अनुसंधानों के चमत्कारिक नतीजे सामने सामने आने के साथ ही यह योग भारत ही नहीं, बल्कि विकसित देशों में भी बेहद लोकप्रिय हो गया है। इस योग का उपयोग न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हो रहा है, बल्कि यह शिक्षा का भी असरदार माध्यम बना है। जर्मनी के स्कूलों में योग निद्रा के जरिए भी छात्रों को शिक्षा दी जा रही है और इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। इसके लिए “योग निद्रा” नामक जिस पुस्तक का चयन किया गया है, उसके लेखक हैं बिहार योग विद्यालय के संस्थापक महासमाधिलीन परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती।
असाध्य रोगों से मुक्ति
दरअसल, “योग निद्रा” परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की ओर से दुनिया को दिया गया अमूल्य उपहार है। इस चमत्कारिक योग के प्रभाव से लोगों को अनेक असाध्य रोगों से मुक्ति मिल रही है। कैंसर जैसी घातक बीमारी को नियंत्रण में रखने में सफलता मिल रही है। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने तंत्र शास्त्र में वर्णित न्यास पद्धति के गूढ़ ज्ञान को वैज्ञानिक ढ़ंग से विकसित करके “योग निद्रा” दुनिया के सामने लाया था। उन्होंने लंबे अनुसंधानों और अनुभवों से साबित कर दिया कि “योग निद्रा” के अभ्यास से संकल्प-शक्ति को जागृत कर आचार-विचार, दृष्टिकोण, भावनाओं और सम्पूर्ण जीवन की दिशा को बदला जा सकता हैं।
आप को आपके करीब लाता है
ऐसा रोज ही होता है कि नींद खुलते ही हम बाहरी दुनिया से जुड़ जाते हैं। इंद्रियां रोजमर्रे की समस्याओं की ओर दौड़ने लगती हैं। ऐसे में हम अपने पास होते हुए भी अपने से दूर ही रहते हैं। नतीजतन मन अशांत रहता है। योग निद्रा एक ऐसी मानसिक क्रिया है, जिसके माध्यम से हम अपने मन को संसार से हटा कर अपने भीतर स्थिर करते हैं। आधुनिक शिक्षा पद्धति में जहां कहीं भी इस विद्या का प्रयोग किया गया है, उसके बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं। बुल्गारियन मनोवैज्ञानिक व इंस्टीच्यूट ऑफ सजेस्टोपेडी इन सोफिया के संस्थापक डॉ जॉर्जी लोजानोव योग निद्रा का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक नया वातावरण तैयार करने के लिए कर रहे हैं। ताकि बिना प्रयास के ज्ञान अर्जन किया जा सके। उन्हें इसमें सफलता भी मिल रही है।
योग निद्रा के जरिये पांच दिन में सिखा दी रूसी भाषा
अमेरिका के फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के दौरान बीस छात्रों को पांच दिनों में योग निद्रा के जरिए रूसी भाषा सिखा दी, जबकि इनका रूसी भाषा से दूर-दूर का रिश्ता नहीं था। इन सभी विद्यार्थियों को निद्रा की अवस्था में रूसी संज्ञाओं को उनके अंग्रेजी समानार्थी शब्दों के साथ सुनाया गया। मशीनों के संकेतकों से पता चला कि शुरू की तीन रातों में स्मरण शक्ति 10 फीसदी की दर से बढ़ रही थी जो अंतिम दो रातों में बढ़कर 13 फीसदी हो गई थी। इससे पता चला कि नींद में सीखने की प्रक्रिया समय के साथ प्रगति कर रही है। यह प्रयोग शुरू करने से पहले ईईजी मशीन से जांच करके यह सुनिश्चित किया गया था कि विद्यार्थी सामान्य जागृत अवस्था में नहीं हैं और वे अंतर्मुखी हो गए हैं।
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पर किया था प्रयोग
वैसे स्वामी सत्यानंद सरस्वती वर्षों पहले यह प्रयोग अपने उत्तराधिकारी और बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य परमहंस स्वामा निरंजनानंद सरस्वती पर कर चुके थे। स्वामी निरंजन चार साल की अवस्था में आश्रम आ गए थे। उनकी औपचारिक शिक्षा कुछ भी नहीं है। पर योग निद्रा के जरिए दी गई शिक्षा की बदौलत वह ज्ञान का उच्चतम मुकाम हासिल कर चुके हैं। बीते साल मुंगेर के पोलो मैदान में विश्व योग सम्मेलन हुआ तो उसमें आए 56 देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी भाषा में व्याख्यान दिया और स्वामी निरंजनानंद सरस्वती तुरंत ही उसे अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद करके बोलते गए थे।
कई बीमारियों में सकारात्मक असर
अमेरिका के पीट्सबर्ग स्थित प्रेसबाईटेरियन यूनिवर्सिटी कालेज हॉस्पीटल की ओर से किए गए अनुसंधान से पता चल चुका है कि योग निद्रा दर्द से मुक्ति दिलाती है। इस अध्ययन में शामिल हुए 54 रोगियों को योग निद्रा की बदौलत दर्द निवारक दवाइयों से मुक्ति मिल गई थी।
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